मशा की शायरी 9/10

दर्द इतना न दे की समभल न सकू
 गर समभल भी गया तो खुद को बदल न सकू
तु मुझ मे या मैं तुझ मैं ये रा़ज कया हैं
कभी तो ये बता के हमशक्ल शाथ चल न सकू



दोस्ती मैं दोस्त र्कुबान हो गया अपनी जिंदगी दोस्तों के नाम हो गया
दुनिया कहती है मेरा दोस्त दगाबाज है मुझे मेरे दोस्तों पे आज भी नाज है

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