जिनदगी की मनंडप मे हर खुशी कवारी है
यहा किससे कया मागे जब हर कोई भिखारी हैं
...दोस्तों मैं आपसे वादा करता हर रोज एक नया शायरी दुगा
मुझे मालूम है की इश्क की सौगात कया हैं
ऐ बेरहम मेरे वफा़ के आगे तेरी बेवफाई की औकात कया हैं
ऩजरे तो मिला के ऩजरे चुरा ली मगर यहां कीस को खसर
तेरी झुकी-झुकी ऩजरो की रा़ज कया हैं
यहा किससे कया मागे जब हर कोई भिखारी हैं
...दोस्तों मैं आपसे वादा करता हर रोज एक नया शायरी दुगा
मुझे मालूम है की इश्क की सौगात कया हैं
ऐ बेरहम मेरे वफा़ के आगे तेरी बेवफाई की औकात कया हैं
ऩजरे तो मिला के ऩजरे चुरा ली मगर यहां कीस को खसर
तेरी झुकी-झुकी ऩजरो की रा़ज कया हैं